बना दो वज़ीर मुझे भी इश्क़ की दुनिया का दोसतों, वादा है मेरा हर बेवफा को सजा ऐ मौत दूंगा...।
बिखर जाते हैं, सर से पाँव तक, वो लोग, जो किसी बेपरवाह से बे-पनाह इश्क करते है।
मुझे नींद की इजाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है, जो खुद आराम से सोये हैं, मुझे करवटों में छोड़ कर।
कही मिले तो उसे यह कहना गए दिनों को भुला रहा हूँ… वह अपने वादे से फिर गया है मैं अपने वादे निभा रहा हूँ...।
मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना, गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना, जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर, किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना ।।
जिस जिस ने मुहब्बत में, अपने महबूब को खुदा कर दिया, खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको जुदा कर दिया।
इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया ए-ज़िन्दगी, चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आ गया ।
लिख देना ये अल्फाज मेरी कबर पे…, मोत अछी है मगर दिल का लगाना अच्छा नहीं...।
तन्हाई की चादर ओढ़कर रातों को नींद नहीं आती हमें, गुजर जाती है हर रात किसी की बातों को याद करते करते।
मेरी जगह कोई और हो तो चीख उठे, मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूँ।
कहने को कुछ नहीं … आह भी चुप सी घुट रही है सीने में”।
हमे क्या पता था, आसमान इस कदर रो पडेगा, हमने तो बस उसे अपनी दास्तां सुनाई थी।
है कोई वकील इस जहान में, जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।
लोग कहते हैं दुःख बुरा होता है, जब भी आता है रुलाता है। मगर हम कहते हैं दुःख अच्छा होता है, जब भी आता है कुछ सिखाता है।
“ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा दुख दिल टूटने पर नही भरोसा टूटने पर होता है, क्योंकि हम किसी पर भरोसा कर के ही दिल लगाते है।”।
हर दर्द का इलाज़ मिलता था जिस बाज़ार में, मोहब्बत का नाम लिया तो दवाख़ाने बन्द हो गये।
परिसथिति एक ऐसी चीज है जो इऩसान को सबकुछ सीखा देती है, बचपन मे ही बड़ा बना देती है।
इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ, तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा।
ये मेरी महोब्बत और उसकी नफरत का मामला है, ऐ मेरे नसीब तू बीच में दखल-अंदाज़ी मत कर।
रहता तो नशा तेरी यादों का ही है, कोई पूछे तो कह देता हूँ पी राखी है।
बिछड़ने वाले तेरे लिए, एक “मशवरा” है, कभी हमारा “ख्याल” आए, तो अपना ‘ख्याल’ रखना।।
इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत, आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला।
जिस रोज तेरे चाहने वालो को तू बेहद बुरी लगेगी, उस दिन भी तू हमे बेहद खूबसूरत लगेगी।
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब था, अपना भी नही बनाया और किसी और का भी ना होने दिया।
लिख देना ये अल्फाज मेरी कबर पे…, मोत अछी है मगर दिल का लगाना अच्छा नहीं...।
सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो, मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते...।
वो मतलब से मिलते थे और हमे तो बस मिलने से मतलब था।
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना, …, नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी।
मत पूछ मुझे… ……, क्या गम है, तेरे वादे पे ज़िंदा हूँ, क्या कम है।
क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है, ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है।
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी, कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी, बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने, आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी।
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ, ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ, कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को, इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।
उसने महबूब ही तो बदला है ताज्जूब कैसा * * दूआ कबूल ना हो तो लोग खूदा भी बदल लेते हैं।
आदत बदल सी गई है वक्त काटने की, हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की।
सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले, हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया।
माना मौसम भी बदलते है मगर धीरे-धीरे, तेरे बदलने की रफ़्तार से तो हवाएं भी हैरान है।
काश ये सिलसिला हो जाए, मैं मिट जाऊं या फासला घट जाए।
इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेलें, रूह तक काँप जाती है, सदमे सहते-सहते।
दर्द मुझको ढूंढ लेता है, रोज नए बहाने से, वो हो गया वाकिफ़, मेरे हर ठिकाने से।
चली जाने दो उसे किसी ओर कि बाहों मे ।। इतनी चाहत के बाद जो मेरी ना हुई, वो किसी ओर कि क्या होगी ।
दर्द ही सही मेरे इश्क़ का इनाम तो आया, खाली ही सही होठों तक जाम तो आया, मैं हूँ बेवफा सबको बताया उसने, यूँ ही सही चलो उसके लबों पर मेरा नाम तो आया।
सिलसिले की उम्मीद थी उनसे , वही फाँसले बढ़ाते गए , हम तो पास आने की कोशिश में थे। ना जाने क्यों वह हमसे दूरियाँ बढ़ाते गए।
मैं तो रह लूंगा तुझसे बिछड़ कर तन्हा भी, बस दिल का सोचता हूँ, कहीं धडकना न छोड़ दे।
छोड़ दिया हमने तेरे ख्यालों में जीना, अब हम लोगों से नहीं, लोग हमसे मोहब्बत करते है।
हम अल्फाजो से खेलते रह गए, और वो दिल से खेल के चली गईं।
आखिर क्यों बस जाते हैं दिल में, बिना इजाज़त लिए वो लोग, जिन्हे हम ज़िन्दगी में कभी पा, नहीं सकते।
दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई… हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए...।
बहुत मासूम होते है ये आँसू भी, ये गिरते उनके लिए है, जिन्हें परवाह नहीं होती।
निकाल दिया उसने हमें अपनी जिंदगी से, भीगे कागज़ की तरह, न लिखने के काबिल छोड़ा न जलने के।
दोस्तो होली आई और चली भी गई थोड़ी देर बाद रंग भी उतर गया, ये होली बिल्कुल उसकी तरह निकली।
वो रो रो कर कहती रही, मुझे नफरत है तुमसे, मगर एक सवाल आज भी परेशान किये हुए है की अगर इतनी नफरत ही थी तो, वो रोई क्यों…।
फायदा बहुत गिरी हुई चीज है, लोग उठाते ही रहते हैं।
कुछ हार गई तकदीर कुछ टूट गये सपने, कुछ गैरों ने किया बरबाद कुछ भूल गये अपने।
क्यों घबराता है पगले दुःख होने से जीवन तो प्रारम्भ ही हुआ है रोने से...।
अच्छा है आँसुओं का रंग नहीं होता, वरना सुबह के तकिये रात का हाल बयां कर देते।
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था...।
शायरी के लिए कुछ ख़ास नहीं चाहिए, एक यार चाहिए और वो भी दगाबाज चाहिए।
जख्म बन जाने की आदत है उन्हें रुला कर मुस्कुराने की आदत है उन्हें ; मिलेंगे कभी तो खूब रुलाएंगे सुना हैं रोते हुए लिपट जाने की आदत है उन्हें ।
बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ, मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।
दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझ से मिलने के न दिल ठहरता है न इंतज़ार रुकता है।
पलकों की हद तोड़ के, दामन पे आ गिरा, एक आसूं मेरे सब्र की, तोहीन कर गया।
चल आ तेरे पैरो पर मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर, कुछ चोटे तुझे भी आई होगी, मेरे सपनो को ठोकर मारकर।
मुझसे खुशनसीब हैं मेरे लिखे ये लफ्ज, जिनको कुछ देर तक पढ़ेगी निगाहे तेरी।
याद में नशा करता हूँ… और नशे में याद करता हूँ...।
बड़े अजीब से इस दुनिया के मेले हैं, यूँ तो दिखती भीड़ है, पर फिर भी सब अकेले हैं...।
कांच के दिल थे जिनके उनके दिल टूट गए, हमारा दिल था मोम का पिघलता ही चला गया।
आपको ज़ीद हे अगर हमे भूलने की तो, हमे भी ज़ीद हे आपको अपनी याद दिलाने की।
कौन खरीदेगा अब हीरो के दाम में तुम्हारे आँसु ;वो जो दर्द का सौदागर था, मोहब्बत छोड़ दी उसने ।
दुआ करना दम भी उसी तरह निकले, जिस तरह तेरे दिल से हम निकले।
छोड़कर अपनी यादों की निशानियां मेरे दिल में, वो भी चले गये वक्त की तरह।
बहुत अंदर तक बसा था वो शख़्स मेरे, उसे भूलने के लिए बड़ा वक़्त चाहिए।
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों, न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’।
कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर, वरना इतनी बड़ी दुनिया में तुझसे ही बात क्यों होती।
डूबे हुओं को हमने बिठाया था अपनी कश्ती में यारो…, और फिर कश्ती का बोझ कहकर, हमे ही उतारा गया...।
ज़िन्दगी की हर शाम, हसीन हो जाए… अगर मेरी मोहब्बत मुझे, नसीब हो जाये...।
शीशे में डूब कर, पीते रहे उस “जाम” को, कोशिशें तो बहुत की मगर, भुला ना पाए एक “नाम” को।
वो नज़र कहाँ से लाऊँ जो तुम्हे भुला दे, वो दवा कहाँ से लाऊँ जो इस दर्द को मिटा दे, मिलना तो लिखा रहता है तक़्दीरों में, पर वो तक़दीर कहाँ से लॉन जो हम दोनों को मिला दे।
ना हम रहे दिल लगाने काबिल, ना दिल रहा ग़म उठाने काबिल, लगे उसकी यादों के जो ज़ख्म दिल पर, ना छोड़ा उसमे मुस्कुराने के काबिल।।
धोखा देने के लिए शुक्रिया पगली कि तुम ना मिलती तो दुनियासमझ में ना आती।
Jab mera waqt mujhse naraz hai, Toh mere azeez bhi mere khilaaf hai।
“तेरी मोहब्बत को कभी खेल नहीं समझा, वरना खेल तो इतने खेले है मैंने कि कभी भी हारा नहीं”।
सामने मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना । जो मन मे हो वो ख्वाब ना तोड़ना । हर कदम पर मिलेगी सफलता । बस आसमान छूने के लिए जमीन ना छोड़ना ।
मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमे, छोड़ गया वो ये सोच कर की हम जुदाई मे भी खुश हैं।
मेरी कोशिश कभी कामयाब ना हो सकी, न तुझे पाने की न तुझे भुलाने की।
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे, खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे, अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो, तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे।
चाहते हैं वो हर रोज नया चाहने वाले, खुदा मुझे रोज इक नई सूरत दे दे।
शायरी लिखना बंद कर दूंगा अब मैं यारो…, मेरी शायरी की वजह से दोस्तों की आँखों में आंसू अब देखे नहीं जाते...।
भूलकर हमें अगर तुम रहते हो सलामत, तो भूलके तुमको संभालना हमें भी आता है, मेरी फ़ितरत में ये आदत नहीं है वरना, तेरी तरह बदल जाना मुझे भी आता है।
बेखबर, बेवजह बेरुखी ना किया कर, कोई टूट जाता है तेरा लहजा बदलने से।
मैं अक्सर रात में यूं ही सड़क पर निकल आता हूँ, यह सोचकर की कहीं , चाँद को तन्हाई का अहसास न हो।
मिजाज को बस तल्खियाँ ही रास आईं, हम ने कई बार मुस्कुरा कर देख लिया।
तेरे शहर के कारीगर बङे अजीब हैं ए दिल, , काँच की मरम्मत करते हैं पत्थर के औजारों से ...।
लम्हा दर लम्हा साथ, उम्र बीत ज़ाने तक, मोहब्बत वहीं हैं ज़ो चले, मौत आने तक...।
ये नक़ाब तुम्हारे झुठ का उतरेगा जिस दिन खुद से नज़रें मिलाने को तरसोगे उस दिन।
जब मिलो किसी से तो जरा दूर का रिश्ता रखना, बहुत तङपाते है अक्सर सीने से लगाने वाले।
उदास कर देती है हर रोज ये बात मुझे, ऐसा लगता है भूल रहा है कोई मुझे धीरे-धीरे...।
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ, हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।
महफिल लगी थी बद-दुआओं की, हमने भी दिल से कहा, उसे इश्क़ हो, उसे इश्क़ हो, उसे इश्क़ हो।
किस्मत की किताब तो खूब लिखी थी मेरी खुदा ने, बस वही पन्ना गुम था जिसमें मुहब्बत का जिक्र था।
सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें। किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें। फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा। तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
सिर्फ हम ही है तेरे दिल में, बस यही गलतफहमी हमें बर्बाद कर गई।
समझदार ही करते है अक्सर गलतिया, कभी देखा है, किसी पागल को मोहब्बत करते।
मौत की हिम्मत कहां थी मुझसे टकराने की कमबख्त ने मोहब्बत को मेरी सुपारी दे डाली।
न करवटे थी न बेचैनियाँ थी, क्या गजब की नीँद थी मोहब्बत से पहले।
छुप के तेरी तस्वीरें देखता हूँ, बेशक तू ख़ूबसूरत आज भी है, पर चेहरे पर वो मुस्कान नहीं, जो मैं लाया करता था।
मेरी किस्मत में तो कुछ यूँ लिखा है, किसी ने वक्त गुज़ारने के लिए अपना बनाया, तो किसी ने अपना बनाकर वक्त गुजार लिया।
मौहब्बत की मिसाल में बस इतना ही कहूँगा… बेमिसाल सज़ा है, किसी बेगुनाह के लिए।
रखा करो नजदीकियां, जिंदगी का भरोसा नहीं… फिर कहोगे चुपचाप चले गए और बताया भी नहीं...।
रहकर तुझसे दूर , कुछ यूँ वक़्त गुज़ारा मैंने ना होंठ हिले , ना आवाज़ आई फिर भी हर वक़्त तुझको पुकारा मैंने।
ख़ुशी कहा हम तो “गम” चाहते है, ख़ुशी उन्हे दे दो जिन्हें “हम” चाहते हे।
बिन बात के ही रूठने की आदत है, किसी अपने का साथ पाने की चाहत है, आप खुश रहें, मेरा क्या है मैं तो आईना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये… … वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है।
काश वो समझते इस दिल की तड़प को, तो हमें यूँ रुसवा न किया जाता, यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें, बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।
अज़ब माहौल है मेरे ‘मुल्क’ का, मज़हब थोपा जाता है, ‘इश्क’ रोका जाता है।
“किसी ने पूछा इतना अच्छा कैसे लिख लेते हो, मैंने कहा दिल तोड़ना पड़ता है, लफ़्ज़ों को जोड़ने से पहले”।
इन्हीं रास्तों ने जिन पर मेरे साथ, तुम चले थे… मुझे रोक के पूछा की तेरा, हमसफ़र कहाँ है...।
इक बात कहूँ “इश्क”, बुरा तो नहीँ मानोगे…, बङी मौज के थे दिन, तेरी पहचान से पहले।
“कुछ गैर मुझे ऐसे मिले जो मुझे अपना बना गए और कुछ अपने ऐसे मिले जो मुझे गैर का मतलब बता गए।”।
ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर, तू एक शख्स को मेरा ना कर सकी।
जिसे खुद से ही नहीं फुरसतें, जिसे खयाल अपने कमाल का, उसे क्या खबर मेरे शौक़ की, उसे क्या पता मेरे हाल का।
मंज़िलों से गुमराह भी , कर देते हैं कुछ लोग ।। हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता।
शक ना कर मेरी मुहब्बत परपगली...... अगर मै सबूत देने पर आया तो ... तु बदनाम हो जायेगी । .
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर, चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।
दोस्तो से अच्छे तो मेरे दुश्मन निकले, कमबख्त हर बात पर कहते हैं कि तुझे छोडेंगे नहीं।
वह मेरा सब कुछ है पर मुक़द्दर नहीं, काश वो मेरा कुछ न होता पर मुक़द्दर होता।
तरस आता है मुझे अपनी, मासूम सी पलकों पर, जब भीग कर कहती हैं कि अब, रोया नहीं जाता।
कत्ल हुआ हमारा इस तरह किस्तों में, कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए।
हम तो नरम पत्तों की शाख़ हुआ करते थे, छीले इतने गए कि “खंज़र ” हो गए...।
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने, कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं।
जिस “चाँद” के हजारों हो चाहने वाले… *दोस्त*, वो क्या समझेगा एक सितारे कि कमी को...।
अच्छा करते हैं वो लोग जो मोहब्बत का इज़हार नहीं करते… ख़ामोशी से मर जाते हैं मगर किसी को बदनाम नहीं करते।।
मेरे दिल से खेल तो रहे हो तुम पर… … जरा सम्भल के… … ये थोडा टूटा हुआ है कहीं तुम्हे ही लग ना जाए… …।
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर…, , ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी।
लोग पूछते हैं क्यों सुर्ख हैं तुम्हारी आँखे, हंस के कह देता हूँ रात सो ना सका, लाख चाहूं मगर ये कह ना सकूँ, रात रोने की हसरत थी रो ना सका।
ये पतंग भी बिल्कुल तुम्हारी तरह निकली जरा सी हवा क्या लग गई हवा में उडने लगी।
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब, मुनाफे में जेब जले, और घाटे में दिल।
दिल मेरा तोड़ा ऐसे वीरान भी न रहने दिया, खुद खुदा हो गया मुझे इन्सान भी न रहने दिया।
हो सके तो अब के कोई सौदा न करना; मैं पिछली मोहब्बत में सब हार आया हूँ।
लोग कहते हैं जब कोई अपना दूर चला जाता है तो बड़ी तकलीफ होती है, पर ज्यादा तकलीफ तो तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना ले।
खुदखुशी करने से मुझे कोई परहेज नही है, बस शर्त इतनी है कि फंदा तेरी जुल्फों का हो।
कैसे दूर करूँ ये उदासी, बता दे कोई, लगा के सीने से काश, रुला दे कोई।
ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे, ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती।
इतना याद न आया करो, कि रात भर सो न सकें। सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग।
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का, बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम।
भला कौन इस दिल की इतनी, देख-भाल करे… रोज़-रोज़ तो इसकी किस्मत में, टूटना ही लिखा है...।
सिमट गया मेरा प्यार भी चंद अल्फाजों में, जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं।
हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर, तुझ पर ज़रा भी जोर होता मेरा, ना रोते हम यूँ तेरे लिए अगर हमारी जिंदगी में तेरे सिवा कोई ओर होता।
बहुत थक सा गया हूँ खुद को साबित करते करते , मेरे तरीके गलत हो सकते है मगर मेरी मोहब्बत नही ।
हमें देख कर जब उसने मुँह मोड़ लिया, एक तसल्ली हो गयी चलो पहचानते तो हैं।
वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला, बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए।
टूट कर चाहना और फिर टूट जाना, बात छोटी है मगर जान निकल जाती है।
फ़रियाद कर रही है तरसी हुई निगाहें, किसी को देखे एक अरसा हो गया।
कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत, रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना।
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना, कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना।
चाहा था मुक्कमल हो मेरे गम की कहानी, मैं लिख ना सका कुछ भी तेरे नाम से आगे।
हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई ...।
ऐ खुदा मुसीबत मैं डाल दे मुझे…, किसी ने बुरे वक़्त मैं आने का वादा किया है।
शिकायतों की पूरी किताब तुम्हें सुनानी है, फुर्सत में अगली जिंदगी सिर्फ मेरे लिए लेकर आना।
चलो अब जाने भी दो…, क्या करोगे दास्तां सुनकर, ,, ख़ामोशी तुम समझोगे नही…, और बयां हमसे होगा नही।
मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ? मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं।
दिल को बुझाने का बहाना कोई दरकार तो था, दुःख तो ये है तेरे दामन ने हवायें दी हैं।
कोन कहता हे मुसाफिर जख्मी नही होते , रस्ते गवाह हे कम्बख्त गवाही नही देते।
जब भी चाहा सिर्फ तुम्हे चाहा, पर कभी तुम से कुछ नही चाहा।
मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, पाला है बड़े नाज़ से… मेरे गमों ने मुझे।
जागना कबूल हैं तेरी यादों में रात भर, तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में अब कहाँ।
Mujhe aaj bhi ye yankeen zaroor hai, Tu dil ke pass hai chaahe faaslo me door hai।
दर्द सहने की कुछ यु आदत सी हो गई है…, की अब दर्द न मिले तो दर्द सा होता है।
सुनो कोई टूट रहा है तुम्हे एहसास दिलाते दिलाते, सीख भी जाओ किसी की चाहत की कदर करना।
मैं कभी किसीको अपने दिल से दुर नही करता, बस जीनका दिल भर जाता है वो मुजसे दुर हो जाते हैँ।
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई, न वो वापस लोटी, न मोहब्बत दोबारा हुई।
आज भी उसी मोड़ पर इंतजार क्र रहा हु उनका जहाँ न लोट कर आने की वो कसम खाए बेठे है।
खैर कुछ तो किया उसने… चलो तबाह ही सही...।
जलने वाले की दूआ से ही सारी बरकत है, वरना अपना कहने वाले तो याद भी नही करते...।
मैंने दरवाज़े पे ताला भी लगा कर देखा लिया, पर ग़म फिर भी समझ जाते है की मैं घर में हूँ।
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह...।
शोहरत अच्छी होती है, गुरूर अच्छा नहीं होता, अपनों से बेरुखी सेे पेश आना, हुज़ूर अच्छा नहीं होता।
अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया, भर गया दिल हमसे और मजबूरी का बहाना बना दिया।
कैसे मिलेंगे हमें चाहने वाले बताइये, दुनिया खड़ी है राह में दीवार की तरह, वो बेवफ़ाई करके भी शर्मिंदा ना हुए, सजाएं मिली हमें गुनहगार की तरह।
कभी खुशियों की चाह में रुलाती है , कभी दुखों की पनाह में रुलाती है , अजीब सिलसिला है ज़िन्दगी का , कभी इंतज़ार करके रुलाती है , और दिल तब टूट जाता है जब ऐतबार करके रुलाती है।
Jinke chehre pe hamesha smile rehti hai, Wahi log zindagi me bahut roye hote hai।
तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चले कि इंतजार क्या होता है, यूं ही मिल जाए अगर कोई बिना तड़पे, तो कैसे पता चले कि प्यार क्या होता है।
दिल में हर राज़ दबा कर रखते है, होंटो पर मुस्कुराहट सजाकर रखते है, ये दुनिया सिर्फ खुशी में साथ देती है, इसलिए हम अपने आँसुओ को छुपा कर रखते है।
शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं।वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल, उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी।
ये बात और है के तक़दीर लिपट के रोई वरना , बाज़ू तो हमनें तुम्हे देख कर ही फैलाए थे।
प्यार की काली सबके लिए खिलती नहीं, हर दुआ सबकी कबूल होती नहीं , प्यार मिलता है किस्मत वालों को , पर सबकी किस्मत ऐसी होती नहीं।।
कभी भी ख़ुशी मे शायरी नहीं लिखी जाती है ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है...।
हँसी ने लबों पे थिरकना छोड़ दिया है, ख्वाबों ने पलकों पे आना छोड़ दिया है, नही आती अब तो हिचकियाँ भी, शायद आप ने भी याद करना छोड़ दिया है।
दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे, यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे, वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का, और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे।
सो जाओ दोस्तों यु रात भर जागने से मुहाबत लोट क्र नही आती।
मेरी फितरत में नहीं अपना गम बयां करना; अगर तेरे वजूद का हिस्सा हूँ तो महसूस कर तकलीफ मेरी...।
हर फैसले होते नहीं, सिक्के उछाल कर, यह दिल के मामले है…, जरा संभल कर।
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की, ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी।
माफ़ी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल, तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं।
तलब ऐसी कि अपनी सांसों में समा लू तुझे, किस्मत ऐसी कि देखने को भी मोहताज हूँ तुझे।
बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी, फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी।
“कितना बुरा लगता है, जब बादल हो और बारिश ना हो, जब आंखे हो और ख़्वाब ना हो, जब कोई अपना हो और कोई पास ना हो।”।
वक़्त ने ज़रा सी करवट क्या ली गैरो की लाइन में सबसे आगे पाया अपनों को।
तू पास नहीं तो क्या हुआ, मोहब्बत तो हम तेरी दूरियों से भी करते है।
टूटता हुआ तारा सबकी दुआ पूरी करता है, क्यों के उसे टूटने का दर्द मालूम होता है।
लिखी है खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में, हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई।
न जाने कौन सी साजिशों के हम शिकार हुए, जितना साफ दिल रखा उतने ही हम दागदार हुए।
ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का, नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है।
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।
एक आरज़ू थी तेरे साथ जिंदगी गुजारने की, पर तेरी तरह मेरी तो ख्वाहिशे भी बेवफा निकली।
जिन्दगी भर कोई साथ नहीं देता यह जान लिया हमने, लोग तो तब याद करते हैं जुब वह खुद अकेले हों।
मेरे अल्फ़ाज़ तो चुरा लोगे, वो दर्द, कहाँ से लाओगे।
लगता है मैं भूल चुका हूँ, मुस्कुराने का हुनर, कोशिश जब भी करता हूँ, आँसू निकल आते हैं।
चले जायेंगे एक दिन, तुझे तेरे हाल पर छोड़कर… कदर क्या होती हैं प्यार की, तुझे वक़्त ही सीखा देगा...।
जानते हैं दुनिया की सबसे कीमती चीज़ें क्या हैं ? सच्ची ख़ुशी के आंसू और सच्चे आंसुओं पर मुस्कान।
तुम्हारे बाद न तकमील हो सकी अपनी, तुम्हारे बाद अधूरे तमाम ख्वाब लगे।
मैं आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है, इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।
तेरी यादें अक्सर छेड़ जाया करती हैं कभी अा़ँखों का पानी बनकर कभी हवा का झोंका बनकर।
कईं रोज से कोई नया जखम न दिया पता करो सनम ठीक तो है न।
हमने उतार दिए सारे कर्ज तेरी मुहब्बत के, अब हिसाब होगा तो सिर्फ तेरे दिए हुए जख्मों का।
बहुत देर कर दी तूने मेरी धडकनें महसूस करने में, वो दिल नीलाम हो गया, जिसपर कभी हकुमत तेरी थी।
हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता है ।
मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन है की, कोई मुझे छोड़ सकता है लेकिन भूल नही सकता...।
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले, इक तेरे इश्क का पी चुके हैं, दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं।
इस ज़िन्दगी की ज़िद तो देखो…, उनको भुलाने के लिए भी, उनको याद करना पड़ता है… की हम उन्हें भूलना चाहते है।
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये, जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये।
बहुत हसरत रही है की तेरे साथ चलें हम, बस तेरी और से ही कभी इशारा ना हुआ...।
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता।
सोचता रहा ये रातभर करवट बदल बदल कर, जानें वो क्यों बदल गया, मुझको इतना बदल कर।
उन्होंने हमें आजमाकर देख लिया, इक धोखा हमने भी खा कर देख लिया, क्या हुआ हम हुए जो उदास, उन्होंने तो अपना दिल बहला के देख लिया।
मेरी आँखों को सुर्ख़ देख कर कहते हैं लोग, लगता है, तेरा प्यार तुझे आज़माता बहुत है।
कुछ लोग आए थे मेरा दुख बाँटने, मैं जब खुश हुआ तो खफा होकर चल दिये...।
रिश्तों की डोरी तब कमजोर होती है जब इंसान ग़लतफहमी में पैदा होने वाले सवालों का जवाब खुद ही बना लेता है।
हक़ीक़त जान लो जुदा होने से पहले , मेरी सुन लो अपनी सुनाने से पहले , ये सोच लेना भुलाने से पहले , बहुत रोयी हैं ये आँखें मुस्कुराने से पहले।
तुम बदले तो मज़बूरिया थी , हम बदले तो बेवफा हो गए।
कितने सालों के इंतज़ार का सफर खाक हुआ । उसने जब पूछा “कहो कैसे आना हुआ”।
मुद्दत के बाद आज उसे देख कर ‘मुनीर’, इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया।
रात तकती रही आँखो में, दिल आरजू करता रहा, कोई बे-सबर रोता रहा, कोई बे-खबर सोता रहा।
उम्र कैद की तरह होते हे कुछ रिश्ते, जहा जमानत देकर भी रिहाई मुमकिन नही।
खता उनकी भी नहीं है वो क्या करते, हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।
मैने माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में, चाहने वालों ने तो आग ही लगा दी।
मन कपडा नहीं फिर भी मैला हो जाता है , दिल कांच नहीं फिर भी टूट जाट है, अजीब दस्तूर है ज़िन्दगी का, रूठ कोई जाता है , टूट कोई जाता है।
मेरे बिना क्या अपने आप को सँवार लोगे तुम, “इश्क़” हूँ कोई ज़ेवर नहीं जो उतार दोगे तुम।
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन, अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को...।
लगा कर आग सीने में, चले हो तुम कहाँ, अभी तो राख उड़ने दो, तमाशा और भी होगा।
मुस्कुराने से भी होता है ग़में-दिल बयां, मुझे रोने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं।
किसी ने कहा था महोब्बत फूल जैसी है, कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा।
तुम तो डर गये हमारी एक ही कसम से, हमे तो तुम्हारी कसम देकर हजारो ने लूटा है।
भीगी नहीं थी मेरी आँखें कभी, वक़्त की मार से… देख तेरी थोड़ी सी बेरुखी ने इन्हें, जी भर के रुला दिया...।
तू मेरी चाहत का एक लफ्ज भी ना पढ़ सका, और मैं तेरे दिये हुए दर्द की किताब पढ़ते पढ़ते ही सोती हूँ।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;रोता है दिल जब वो पास नहीं होता;बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में;और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।
टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी, मेरी साँसों ने हर पल उसकी ख़ुशी मांगी, न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से, कि मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी।
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको, खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।
“शक करने से शक बढ़ता है, भरोसा करने से भरोसा बढ़ता है, ये आपकी इच्छा है कि आप किस तरफ बढ़ना चाहते हो।”।
हर किसी में तुझे पाने की कोशिश की बस एक तुझे न पा सकने के बाद ।
आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की , ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो।
अगर नींद आ जाये तो, सो भी लिया करो, रातों को जागने से, मोहब्बत लौटा नहीं करती।
Bikhar Jate Hain, Sar Se Paanv Tak, Woh Log, Jo Kisi Beparvah Se Be-Panah Ishq Karte Hain।
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे । उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ ।।
ख्वाहिश तो न थी किसी से दिल लगाने की, पर किस्मत में दर्द लिखा हो तो मुहब्बत कैसे ना होती।
ज़िन्दगी है नादान इसलिए चुप हूँ दर्द ही दर्द है, सुबह- शाम इसलिए चुप हूँ।कह दु ज़माने से दास्तान अपनी, उसमे आया तेरा नाम इसलिए चुप हूँ।
ये इश्क मोहब्बत की, रिवायतें भी अजीब है, पाया नहीं है जिसको उसे खोना भी नहीं चाहते।
निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला की… हर वह शख्स अकेला है, जिसने मोहब्बत की है।
खबर मरने की जन आये, तो यह न समझना हम दगाबाज थे, किस्मत ने गम इतने दिए, बस ज़रा से परेशान थे।
मेरी आँखो का हर आँसू, तेरे प्यार की निशानी है, जो तू समझे तो मोती है, ना समझे तो पानी है...।
कल रात का आलम इस कदर था यारो, उसकी यादों ने मेरी आँखो को सोने ना दिया।
नमक की तरह हो गयी है जिंदगी, लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं।
मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ…, कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है।
उसने बड़ी बेरुखी से कहा ” बस , अब जुदा होना है ” और आज दिल- ए- बरबाद में सिर्फ शोला और चिन्गारी है।
मुझे जिस चिराग से प्यार था… मेरा सब कुछ उसी ने जला दिया...।
बिखरती रही जिंदगी बूँद-दर-बूँद, मगर इश्क़ फिर भी प्यासा रहा।
वो सोचती होगी बड़े चैन से सो रहा हूँ मैं, उसे क्या पता ओढ़ के चादर रो रहा हूँ मैं।
अब मोहब्बत नहीं रही इस जमाने में, क्योंकि लोग अब मोहब्बत नहीं मज़ाक किया करते है।
इरादा कत्ल का था तो ~मेरा सर कलम कर देते क्यू इश्क मे डाल कर तुने ~हर साँस पर मौत लिख दी।
सजा ये है की बंजर जमीन हूँ मैं, और जुल्म ये है की बारिशों से इश्क़ हो गया।
क्या करियेगा पहचान कर इन चेहरों को अब तो अपना चेहरा भी अजनबी सा नजर आता है।
जिस्म उसका भी मिट्टी का है मेरी तरह…, ” ए खुदा “फिर क्यू सिर्फ मेरा ही दिल तडफता है उस के लिये…, ”।
जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें, उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
टूटे हुवे सपनो और रूठे हुवे अपनों ने आज उदास कर दिया | वरना लोग हमसे मुस्कराने का राज पुछा करते थे |।
“क्या लिखूँ , अपनी जिंदगी के बारे में, दोस्तों, वो लोग ही बिछड़ गए, ‘जो जिंदगी हुआ करते थे।
टूटा दिल और धड़कन को एहसास ना हुआ, पास होकर भी वो दिल के पास न रहा, जब दूर थी तो, जान थी मेरी, आज जब हम क़रीब आये तो वो एहसास ना रहा।
मोहब्बत नही तो मुकदमा हि दायर कर दे जालिम, तारीख दर तारीख तेरा दीदार तो होगा।
एक नजर भी देखना गंवारा नहीं उसे, जरा सा भी एहसास हमारा नहीं उसे, वो साहिल से देखते रहे डूबना हमारा, हम भी खुद्दार थे पुकारा नहीं उसे।
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो, मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।
अभी एक टूटा तारा देखा, बिलकुल मेरे जैसा था, चाँद को कोई फर्क न पड़ा, बिलकुल तेरे जैसा था।
ऐ खुदा लोग बनाने थे पत्थर के अगर, तो मेरे एहसास को शीशे सा न बनाया होता।
हमने तुम्हें उस दिन से और भी ज़्यादा चाहा है, जबसे मालूम हुआ तुम हमारे होना नही चाहते।
उजड़ जाते हैं सर से पाँव तक वो लोग जो, किसी बेपरवाह से बे-पनाह मोहब्बत करते हैं।
बहुत आसान है पहचान इसकी, , अगर दुखता नहीं तो दिल नहीं है।
बहुत भीड़ हो गयी है तेरे दिल में, अच्छा हुआ हम वक़्त पर निकल गए।
बात करने को तरसा हूं, आवाज़ सुनने को तरसोगी।
क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर कहे…, तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है...।
इश्क हमें जीना सिखा देता है, वफा के नाम पर मरना सिखा देता है।इश्क नहीं किया तो करके देखो जालिम, हर दर्द सहना सीखा देता है।।
क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर, क्या तुम्हे मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिन्दगी।
रहेगा किस्मत से यही गिला ज़िंदगी भर, जिसको पल-पल चाहा उसी को पल-पल तरसे।
जिसे दिल मे जगह दी थी वो ही सब बर्बाद कर गया...।
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर, वरना मैं अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालकर...।
Lagta hai zindagi kuch khafa hai, Chalo chhodiye konsa pehli dafa hai।
जिंदगी सुन्दर हैं पर जीना नही आता, हर चीज मे नशा हैं, पर पीना नही आता। सब मेरे बगैर जी सकते हैं, बस मुझे ही किसी के बीना जीना नही आता।
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ दे।
मोहब्बत के भी कुछ अंदाज़ होते हैं, जगती आँखों के भी कुछ ख्वाब होते हैं, जरुरी नहीं के ग़म में आँसू ही निकले, मुस्कुराती आँखों में भी शैलाब होते हैं।